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मेरी ग़ज़ल

मैं इन्तिज़ारे-शबे-वस्ल करता हूँ

तेरे नाम को तेरी तस्वीर समझता हूँ
इतनी मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ

ऐ आइना-रू न जाने तू आइना है नाम तेरा
जिसमें खु़द को मैं तेरे साथ देखता हूँ

सिवा मेरे न सोचे तू कभी किसी और को
अपने रब से रोज़ यही दुआ करता हूँ

लबों पर तेरे नाम से रवाँ है खू़ने-जिगर
खू़ने-जिगर को तेरे नाम से रवाँ करता हूँ

अंजाम भला ही होगा गर तू है मसीहा
मैं तेरी सोहबत की तमन्ना करता हूँ

मेरी नेकियों को बदी से न तोलेगा मेरा खु़दा
हर दुआ में तुम्हें पाने की दुआ करता हूँ

फ़ुरक़त है इसलिए कि वस्ल है मुक़र्रर
मैं इन्तिज़ारे-शबे-वस्ल करता हूँ

ग़ज़ब हैं ‘नज़र’ पे तन्हाई के सितम
यह सब तेरी उम्मीद पर सहता हूँ


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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