तेरे नाम को तेरी तस्वीर समझता हूँ
इतनी मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ
ऐ आइना-रू न जाने तू आइना है नाम तेरा
जिसमें खु़द को मैं तेरे साथ देखता हूँ
सिवा मेरे न सोचे तू कभी किसी और को
अपने रब से रोज़ यही दुआ करता हूँ
लबों पर तेरे नाम से रवाँ है खू़ने-जिगर
खू़ने-जिगर को तेरे नाम से रवाँ करता हूँ
अंजाम भला ही होगा गर तू है मसीहा
मैं तेरी सोहबत की तमन्ना करता हूँ
मेरी नेकियों को बदी से न तोलेगा मेरा खु़दा
हर दुआ में तुम्हें पाने की दुआ करता हूँ
फ़ुरक़त है इसलिए कि वस्ल है मुक़र्रर
मैं इन्तिज़ारे-शबे-वस्ल करता हूँ
ग़ज़ब हैं ‘नज़र’ पे तन्हाई के सितम
यह सब तेरी उम्मीद पर सहता हूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’