आयी तेरी याद सनम
यह चमन महकने लगा
मैं दिल के दरपन में
चेहरा तेरा देखने लगा
शाख़ों पर गुलाबी गुलों का डेरा है
तेरा दिल जो है वह मेरा है
जो एहसास अभी मुझे हुआ है
उसमें एक तेरा ही नशा है…
मैं दिल के दरपन में
चेहरा तेरा देखने लगा…
मुस्कुराने लगी कली-कली हर गली
तेरा प्यार पाया तो मिली हर ख़ुशी
तेरी वफ़ा से भर गयी सारी फ़ज़ा
फिर क्यूँ दूर रहके देती हो सज़ा…
आयी तेरी याद सनम
यह चमन महकने लगा…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
One reply on “आयी तेरी याद सनम”
bahut khub dur rehneke tho bas bahane hai
varna tho kitne raaz batane hai
duniya se kuch dar sa lage shayad
samandar se gehre apne fasne hai.
so how is sofiya,seems in good mood:)