मेरी याद आती तो होगी
मुझे याद करती भी होगी
तू बेवफ़ा तो न होगी
ज़रा-सी वफ़ा की तो होगी
वास्ता वह प्यार का याद भी होगा
रास्ता वह प्यार का आज भी होगा
और तू गुलमोहर के नीचे बैठकर
सूखे पत्तों पे मुझे ख़त लिखती होगी
बारिशों में छत पे जाकर
अपने आँसू छिपाये होंगे
और फिर तूने प्यार के
वह नग़में गुनगुनाये होंगे
नग़मों में मुझको महसूस करके
मेरी बेतरतीब झलक देखी होगी
फिर सिसकियों को तौलिए में पोंछकर
बोझल मन को समझाती होगी
मेरी याद आती तो होगी
मुझे याद करती भी होगी…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२