तेरी बातें करते-करते
जाने कब मुझे,
तुझसे प्यार हो गया
कहने लगे दीवाने
देखो यार,
यह भी दीवाना हो गया
रातों में ख़्याल तेरा आने लगा
आँखें जब भी बंद कीं
चेहरा तेरा नज़र आने लगा
एक बार तूने
यूँ मुस्कुराया था
मेरे दिल में
इक उन्स उठाया था
वह नज़र जाकर फिर लौटी नहीं
अब तो चेहरा तेरा
रोज़ाना मैं तकने लगा
एक बार ख़ाब में
तुम हमसे क्या मिले
कि चलने लगे और भी
रफ़्तार से यह सिलसिले
रफ़्ता-रफ़्ता होना
कुछ भी ख़त्म हो गया
रोशनी से तेज़
सब कुछ चलने लगा
तेरी बातें करते-करते
जाने कब मुझे,
तुझसे प्यार हो गया
कहने लगे दीवाने
देखो यार,
यह भी दीवाना हो गया
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२