Categories
मेरा गीत

ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह

ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह
उनके बिना कितने पल गुज़ारे हैं
खोये-खोये सारे वह बीते नज़ारें हैं

हाथों की लकीरों में उनका नाम है
कहाँ मुझसे दूर खोये हुए हैं वह
कुछ भी नहीं है उनकी यादों के सिवा
किसी से न गिला मेरा न शिकवा

तू प्यासा रेगिस्तान है बारिश वह
ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह

लम्बा सफ़र है राहें हैं सूखी-सूखी
फिर भी राहों के किनारे ताड़ हैं उगी
बरसों का सफ़र दिल में उनका बसर
उनको ही ढूँढ़ती है नज़र हर नज़र

ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह
उनकी यादों में खोये हुए हैं हम
थोड़े जागे थोड़े सोये हुए हैं हम

तू प्यासा रेगिस्तान है बारिश वह
ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह

खिलेंगे गुल हज़ार रंग के नये-नये
मिल गये जो इन्हीं रास्तों पर वह
गुलों की वादियाँ अगर चाहिए तुझे
काँटों की तहों पर चल मिलेंगे वह

ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह
किसी मोड़ के बाद आयेगी मंज़िल
चलता चल राह नयी ऐ मेरे दिल

तू प्यासा रेगिस्तान है बारिश वह
ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “ऐ दिल वहाँ चल जहाँ रहते हैं वह”

Hello vinay,
I read your poems and quite impressed. We have created a portal especially for poets. have a look at www[.]kavitasangrah[.]com. Check your mail, I’ve sent a message to your mail id today.

With Thanks

Jitendra Manaswin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *