चाँदनी की बाँहों में दो फूल खिलने लगे
दिल की कश्ती को किनारे मिलने लगे
इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा वादी-वादी
वादियों में ख़ुशबू के बादल घिरने लगे
दो आँखों की झीलों में महका चाँद-सा चेहरा
अनदेखी अन्जान राहों पे चलने लगे
रंगीन सपने झिलमिलाते हैं आँखों में
दिल की तस्वीरों में रंग भरने लगे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२