सफ़्हे-सफ़्हे पर है नाम आपका
यह बंदा है ग़ुलाम आपका
आप जो कहेंगे सो करेंगे हम
सर आँखों पर इल्ज़ाम आपका
आप हमसे दूर चले गए
क़ासिद न लाया कोई पैग़ाम आपका
खा़ना-ए-दिल रह गया वीराँ-वीराँ
दर्द ने पाया मुक़ाम आपका
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’