खू़ने-जिगर से तुझे सलाम लिखूँ
दिल अपना तेरे नाम लिखूँ
दस्ते-क़ासिद तुझे पैग़ाम लिखूँ
तेरे नयनों को नशीले जाम लिखूँ
तेरे प्यार में तेरा नाम रोज़
औराक़े-गुल पे सुबह-शाम लिखूँ
गर दिल तेरा दर्द जानता हो
तुझे अपने दिल का कलाम लिखूँ
दर्द से दोस्ती को दिन हुए कई
अब तो दर्द को मैं हमनाम लिखूँ
मैं तुम्हें अपना इश्क़ मानता हूँ
चाहो अगर खु़द को ग़ुलाम लिखूँ
जब बाइसे-हिज्र जानता हूँ
तुझे किस तरह इल्ज़ाम लिखूँ
तू मेरे दिल में मुक़ीम है सनम
दिल को तेरे अपना मुक़ाम लिखूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’