दिल में तू नहीं तो क्या है सखी
मान ले तू, हम तेरे हैं हमनशीं
चाँदनी और सितारों की सरज़मीं
महकती हवा और तेरी ख़ूबसूरती
सब कुछ इन रोशन राहों में है
सब कुछ मेरी इन निगाहों में है
यह दूरी हमें तेरे क़रीब लाती है
हवा दिल की डाली कुम्हलाती है
दिल में तू नहीं तो क्या है सखी
मान ले तू, हम तेरे हैं हमनशीं
कल जब हमने तुझे देखा था
तब तू हमारी इन निगाहों में थी
जिस पर दिल दीवाना हुआ था
वह मदभरी ख़ुशबू तुम्हारी थी
हम तेरे सिवा कुछ न चाहें सनम
हम तेरे सिवा कुछ न देखें सनम
मंज़िल है तू हमारे ख़ाबों की
बस तुझे ही हमेशा सोचा करें
दिल में तू नहीं तो क्या है सखी
मान ले तू, हम तेरे हैं हमनशीं
पल-पल यह दिल धड़कता है
साँसों में बे-वजह सुलगता है
जलता है कुछ बुझता है कुछ
ख़ाबों का साया उलझता है कुछ
बनते-बनते बनता है यह इश्क़
लगते-लगते लगता है यह इश्क़
हम कल कहाँ तुम कल कहाँ
हमें कुछ पता न तुम्हें कुछ पता
दिल में तू नहीं तो क्या है सखी
मान ले तू, हम तेरे हैं हमनशीं
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९