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मेरी ग़ज़ल

दूरियाँ फ़ासले फ़ुर्क़त कम न होंगे

दूरियाँ फ़ासले फ़ुर्क़त कम न होंगे
मगर जान दिल में तेरे ग़म न होंगे

रहबर होता है हर राह नया आबला
जानता हूँ आबले मरहम न होंगे

उठके मंज़िल तुझ तक न आयेगी
जो उसकी राह में तेरे क़दम न होंगे

इश्क़ तक़दीर क़ज़ा मत सोचिए
किस ज़माने में दैरो-हरम न होंगे

तुम जो आना तो न बताना मुझे
देखता हूँ कब तक ये वहम न होंगे

तेरा आशिक़ बुलाती है दुनिया मुझे
क्या ये माथे पे इल्ज़ाम रक़म न होंगे


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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