हमने
बड़े हौसले से
यह दीवारें
खड़ी की हैं
दुश्मनी
नाम है इनका
अब यह
दीवारें न गिराना
वर्ना कुछ यादें
रह जायेंगी
तोड़कर
जोड़े गये
तागे में
गिरह की तरह…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
हमने
बड़े हौसले से
यह दीवारें
खड़ी की हैं
दुश्मनी
नाम है इनका
अब यह
दीवारें न गिराना
वर्ना कुछ यादें
रह जायेंगी
तोड़कर
जोड़े गये
तागे में
गिरह की तरह…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३