इक तेरे दीदार से,
इश्क़ के इज़हार से
इस बेज़ुबाँ दिल को ज़ुबाँ मिल गयी
मेरी तन्हाई को रंगीन फ़िज़ा मिल गयी
इक तेरे प्यार में,
इक तेरे प्यार में…
मैं जब से तुम्हें चाहने लगा हूँ
ख़ुद को सनम भूलने लगा हूँ
ऐसा पहले कभी होता नहीं था
इतना बेताब मैं रहता नहीं था
यह बेताबी मुझे
सनम तुमने दी है
मेरी धड़कनों को
तलब तुमने दी है
अब क्या करूँ,
तुझे ही देखा करूँ…
इक तेरे दीदार से,
इश्क़ के इज़हार से
इस बेज़ुबाँ दिल को ज़ुबाँ मिल गयी
मेरी तन्हाई को रंगीन फ़िज़ा मिल गयी
इक तेरे प्यार में,
इक तेरे प्यार में…
बहारों ने मौसम सजाएँ है
घटाओं ने सावन बरसायें हैं
ख़ुशबू तेरे प्यार की…
मेरी साँसों तक आ रही है
मुहब्बत तेरी जादू-सी…
मेरे मन को लुभा रही है
अब कहाँ जायें सनम,
किसको बतायें सनम
जो दिल में हो रहा है,
जाने क्यूँ हो रहा है…
इक तेरे दीदार से,
इश्क़ के इज़हार से
इस बेज़ुबाँ दिल को ज़ुबाँ मिल गयी
मेरी शाम को नयी सुबह मिल गयी
इक तेरे प्यार में,
इक तेरे प्यार में…
मेरी तन्हाई को रंगीन फ़िज़ा मिल गयी
इक तेरे प्यार में,
इक तेरे प्यार में…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२