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मेरा गीत

गर मान लो इक बात मेरी

male vocal:
गर मान लो इक बात मेरी
तो इक बात कहूँ मैं
तेरे हुस्न के चर्चे हैं बस
मेरा कहीं कोई नाम नहीं
आँखें जब नींद में डूबती हैं
बस ख़ाब तेरे ही ढूँढ़ती हैं

female vocal:
क्या सच कह रहे हो?

male vocal:
पिछले ख़ाब में जब हम मिले थे
थोड़े-से अजनबी दिखते थे
थोड़े-से हमनशीं लगते थे
और जो बात कही थी मैंने
आज वही तुम भी कह दो

female vocal:
क्या?

male vocal:
मुझे तुमसे प्यार है

male vocal:
पहले भी ख़ाब में
तुम आया करते थे
कहा नहीं कभी कि
हम पर मरते थे
तुम हो मेरी, जाँ-नशीं
चाँद है जिसके जैसा
मेरी वह नाज़नीं…

female vocal:
झूठे!

male vocal:
गर मान लो इक बात मेरी
तो इक बात कहूँ मैं
तेरे हुस्न के चर्चे हैं बस
मेरा कहीं कोई नाम नहीं

female vocal:
ख़ामख़ाह की बस
यूँ तारीफ़ें मत करो!

male vocal:
जो सच है वही कहा है
चाँद को तुम-सा हसीं कहा है
दोनों डूबेंगे साथ में
ख़ाबों की रात में
आये हैं इस मोड़ पर
इसी फ़िरात में…

male vocal:
गर मान लो इक बात मेरी
तो इक बात कहूँ मैं
तेरे हुस्न के चर्चे हैं बस
मेरा कहीं कोई नाम नहीं
आँखें जब नींद में डूबती हैं
बस ख़ाब तेरे ही ढूँढ़ती हैं

male vocal:
हाँ, सच कह रहा हूँ…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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