हमें जिससे उसे हमसे प्यार होता
कुछ अपनी क़िस्मत का एतबार होता
हमें जिसका इंतज़ार है हर साँस पे
कभी उसको भी हमारा इंतज़ार होता
जिसकी पहली नज़र ने क़त्ल किया
हमारी बाँहों में कभी वो गुनाहगार होता
जो हमें अपनी जान से ज़्यादा अजीज़ है
यूँ होता कभी वो हमपे जाँनिसार होता
जिसकी चाहता के भँवर में फँसे हैं हम
वो भी कभी तूफ़ानों में बीच मँझधार होता
हमारा दिल धड़कता है जिसके लिए
कभी उसका दिल भी बेइख़्तियार होता
जिसने दिल को दर्द आँख को आँसू दिए
अच्छा होता अगर वही ग़मगुसार होता
जिसने हमारी साँस को फाँस दी ‘नज़र’
उसके सीने में भी दर्द बेशुमार होता
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’