गुलाबी-सफ़ेद बादलों में
कल सुनहरा चाँद देखा
ख़्याल आया
शायद तुम हो
फिर याद आया
तुम यहाँ नहीं
उसी में महसूस कर लिया
मैंने तुमको
कि शायद –
तुमने भी देखा हो उसे…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८
गुलाबी-सफ़ेद बादलों में
कल सुनहरा चाँद देखा
ख़्याल आया
शायद तुम हो
फिर याद आया
तुम यहाँ नहीं
उसी में महसूस कर लिया
मैंने तुमको
कि शायद –
तुमने भी देखा हो उसे…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८