हम तेरे ख़्वाब रात-दिन-दोपहर देखा किए
हर गाम तेरे हुस्न की सहर देखा किए
फूल खिलता है तो चमन में फिरती हैं तितलियाँ
हम क़ुदरतो-उल्फ़त का हुनर देखा किए
दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं तुमको देखकर
हम पलट-पलटकर तेरी नज़र देखा किए
बहुत तवील है तुमसे मोहब्बत की कहानी
हम खा़मखा़ह इसको मुख़्तसर देखा किए
दर्द बे-दर्द होकर दौड़ता है नस-नस में
हम इस दर्द में तेरे नाम का असर देखा किए
जब गुज़री हो मेरे सामने से तुमने भी देखा है
हम किस तरह तुम्हें बेख़बर देखा किए
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’