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मेरी ग़ज़ल

हर गाम तेरे हुस्न की सहर देखा किए

हम तेरे ख़्वाब रात-दिन-दोपहर देखा किए
हर गाम तेरे हुस्न की सहर देखा किए

फूल खिलता है तो चमन में फिरती हैं तितलियाँ
हम क़ुदरतो-उल्फ़त का हुनर देखा किए

दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं तुमको देखकर
हम पलट-पलटकर तेरी नज़र देखा किए

बहुत तवील है तुमसे मोहब्बत की कहानी
हम खा़मखा़ह इसको मुख़्तसर देखा किए

दर्द बे-दर्द होकर दौड़ता है नस-नस में
हम इस दर्द में तेरे नाम का असर देखा किए

जब गुज़री हो मेरे सामने से तुमने भी देखा है
हम किस तरह तुम्हें बेख़बर देखा किए


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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