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मेरा गीत

हर इक साँस में

हर इक साँस में
हर इक आस में
इक ही ख़्याल हो
साथ मिलकर चलें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

इक अपना जहान
आकाश से ऊँचा अपना मुक़ाम
वो अपनी राह हो
जिधर बढ़ते रहें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

मुस्कुराते होठों पे
हँसते लुभाते चेहरों में
इक नयी बात हो
नयी मंज़िलों को बढ़ें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

कितनी मुश्किलें
हमने तय कीं कितनी मंज़िलें
यह हौसला साथ हो
जोश में होश रखें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

अपनी आँखों में
तन की शाख़ों में
इक नयी शुरुआत हो
इरादे बरक़रार रखें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

न हिन्दू रहे
और न कोई मुस्लिम रहे
इक अपनी जात हो
साथ मिलकर रहें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

प्यार से मिलें
इक दूजे के गले
ऐसी अपनी शान हो
साथ मिलकर कहें हम
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

जय जय भारत भूमि
शत्-शत् तुझको प्रणाम
ऐ मेरे हिन्दुस्तान क़ुबूल कर
मेरे लाखों-अरबों सलाम


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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