Categories
मेरा गीत

हसीन रंगों में रंगी जो तक़दीर थी

गीत:
हसीन रंगों में रंगी जो तक़दीर थी
मेरे ख़ाबों में बनी जो तस्वीर थी
उसमें जान डाली बहती हवाओं ने
कलियों ने दीं उसे अपनी मुस्कुराहटें
चाँदनी जिसके रंग-रूप में समायी
मेघों ने घिरकर जिसकी ज़ुल्फ़ें बनायीं
जो तस्वीर थी अब तलक ख़ाबों में
वो हक़ीक़त बनकर सामने आयी…

संवाद:
मैं शुक्रगुज़ार हूँ उसका
जो उसको ख़ाबों की दीवार से उतारकर लाया
दिल में इक तलब थी
दीदार हों उसके, जो सोचा था वो हमने पाया

गीत:
अब रह गयी है थोड़ी-सी कसर
हमें मिले रोज़ उसकी इक नज़र
कैसा ग़ज़ब ढाया, इतना क़रीब होके
तुमको ख़ुद से कितना दूर पाया
बरसों तलक हम रहे तेरे बिग़ैर
अपने बने वो भी जो थे कभी ग़ैर

संवाद:
बरसों की ख़ाहिश थी
मिले कोई हमें भी
जिस पर दूँ ये दिलो-जाँ निसार
हम तो भटक रहे थे कहीं
जब मिला तेरा नज़ारा
रहने लगा ये दिल जाने-जाँ बेक़रार

गीत:
इक नयी शुरुआत हो
दोनों की मुलाक़ात हो
हमसे तेरी बात हो
हर शै में तुम मेरे साथ हो
चाहे दिन हो चाहे रात हो
दिल चाहे मैं रंग बनकर
तुझमें मिल जाऊँ
तू हर जनम मेरी होकर रहे
मैं तेरा बन जाऊँ

हसीन रंगों में रंगी जो तक़दीर थी
मेरे ख़ाबों में बनी जो तस्वीर थी
वह हर शै में जैसे ख़ुदा का नूर थी
मेरे इन हाथों की लकीरों में
वह मुहब्बत की इक लकीर थी
वह हर क़ीमत पे दिल को मंज़ूर थी


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२ 

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *