जिस दिन से तुमको देखा है
मेरा दिल खोने लगा है
जाने कबसे ऐसा हो गया है
मेरा दिल तेरा हो गया है
दिल पर ज़ोर चलता नहीं
तूफ़ाँ ये रोके रुकता नहीं
मैं क्या करूँ, मैं क्या करूँ
तुम ही कहो, मैं क्या करूँ
जब तेरी हसीं सूरत नज़र आती है
वो दिल में ठहर के दर्द जागाती है
जब आँखों को आँखों से चूमता हूँ
तेरी मोहब्बत दिल में उन्स उठाती है
अब चाहे लाख दीवारें बना ले ज़माना
तोड़ के सारी रस्में मुझे प्यार है निभाना
जिस दिन से तुमको देखा है
मेरा दिल खोने लगा है
जाने कब से ऐसा हो गया है
मेरा दिल तेरा हो गया है
जब मैंने और तूने प्यार किया है
दिल ने भी दिल से इक़रार किया है
जब चाहत में हैं दोनों दीवाने
तो क्यों हम दुनिया की मानें
अब चाहे लाख दीवारें बना ले ज़माना
तोड़ के सारी रस्में हमें प्यार है निभाना
जिस दिन से तुमको देखा है
मेरा दिल खोने लगा है
जाने कबसे ऐसा हो गया है
मेरा दिल तेरा हो गया है
जब से हम दोनों मिलने लगे हैं
दिल में हज़ारों अरमाँ खिलने लगे हैं
तू अब इतने क़रीब आ जा मेरे
कि लोग देखकर हमें जलने लगें
अब चाहे लाख दीवारें बना लें ज़माना
तोड़ के सारी रस्में हमें प्यार है निभाना
जिस दिन से तुमको देखा है
मेरा दिल खोने लगा है
जाने कबसे ऐसा हो गया है
मेरा दिल तेरा हो गया है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२