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जाने किस गली में

जाने किस गली में, मैं चाँद भूल आया हूँ
जाने किस गली में चाँद मुझे भूल आया है

तन में जो जलती है रफ़्ता-रफ़्ता, तन्हाई है


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “जाने किस गली में”

सरजी’; साहित्यकार की जो लोग तारीफ करते हैं उस तरफ़ कवि का मामूली ध्यान जाता है और जो आलोचना करते है उनकी तरफ़ ज़्यादा ध्यान जाता है मेरा केवल ये उद्देश्य था की मुझ नाचीज़ की तरफ़ आपकी भी नज़रें इनायत हों| मैं आपकी हर रचना बहुत ध्यान से पढता हूँ और आपकी रचनाओं का कद्रदान हूँ आपकी रचनाएँ पढ़ कर वाकई मुझे बहुत सुकून मिलता है और नयी रचनाओं का इंतज़ार रहता है- प्लीज आप अन्यथा मत लीजिये मैंने अपनी और केवल आपका ध्यान आकर्षित करना चाहा था…

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