आईना हैं आप कभी आप में खु़द को देखूँ
जुज़ तस्वीर कभी आप में खु़द को देखूँ
इक बेबसी बेकली बेक़रारी है दिल में
खु़श मिलके हूँ कभी आप में खु़द को देखूँ
दो क़दम और बढ़ आये आपके क़रीब
गर मिल जायें कभी आप में खु़द को देखूँ
‘नज़र’ ने कई बार पूछा है मुझसे
कब कैसे कहाँ कभी आप में खु़द को देखूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’