कहानी एक पुरानी क़िस्सा एक पुराना
वो मेरे दिल की क़ीमत वो तेरा बयाना
वो मेरे दिल में क़त्ल होने की आरज़ू
वो ज़िबह के लिए तेरा नज़रें उठाना
मैं तुम्हें देखूँ और तुम हँसों ज़ोर से
हाए वो अदा वो तेरा दिल को जलाना
मैं कहूँ और तुम न सुनो देखो कहीं और
वो सहेलियों के सामने तेरा सताना
मैं गर रखूँ तुमसे हसरत इश्क़ की
वो तेरा मुझको बारहा ग़लत ठहराना
वो इक आशिक़ था जिसे कहते हो ‘नज़र’
उसे याद करना उसे कहना ‘फ़लाना’
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४