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मेरी ग़ज़ल

कहते हैं मेरा इश्क़ एक नुक़्स है

कहते हैं मेरा इश्क़ एक नुक़्स* है
कुछ नहीं है ख़ाली आईना है अक्स है

मुझे इक ख़ाब की तरह मिला था जो
मेरे अफ़साने का किरदार है शख़्स है

अहदे-उम्मीद में जवाँ हुआ था मैं
उससे दिल की इक तड़प है वक़्त है

जिसके लिए क़बूल किया आवारापन
जाना है वो कमबख़्त है बदबख़्त है

उसे ख़ाक उम्मीदो-वफ़ा मेरी कोई
उसका दिल बहुत संग है सख़्त है

अपनी तक़दीर जिसे हमने समझा
वह बहुत मतलबी है ज़िश्त^ है

जिसके लिए रोज़ रात चाँदनी उगायी
वो कह गया ये हमबज़्म है मुफ़्त है

*ग़लती [लोग प्राय: इसका अर्थ नक़्स(=कमी) लेते हैं]
^बुरा


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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