कौन है वह मैं नहीं जानता
दिल यह पगला नहीं मानता
मैंने कल ही तो देखा था उसको
दिल चाहने लगा है जिसको
कभी ऐसा होगा मैंने सोचा न था
दिल दीवाना होगा मैंने सोचा न था
कितना बुरा हाल है मेरा
इक पल चैन नहीं रहा है मुझको
कौन है वह मैं नहीं जानता
दिल यह पगला नहीं मानता
तुम जो गुमसुम हो तुमको मनाऊँ कैसे
मुझे प्यार है तुम्हीं से यह बताऊँ कैसे
तेरी चाहत में दिल मेरा खो गया है
जिस बात का डर था वही हो गया है
दिल मेरा दीवाना हो गया है
कौन है वह मैं नहीं जानता
दिल यह पगला नहीं मानता
जिस रास्ते ये दिल गया है
यूँ लगता है कि
जैसे कोई सितम हो गया है
मैं दिल में उसको बसा के
इस भूल की दिल को सज़ा दूँ
आँखों में बसाया है जिसको
आज चाहूँ उसे अपना बना लूँ
कौन है वह मैं नहीं जानता
दिल यह पगला नहीं मानता
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२