ख़ामोश निगाह तेरी
क्या बातें करती है
आँखों में रहती है
व नींदों में बहती है
दिल की बात करें क्या
एक सपने का बंजारा है
भटक रहा है सदियों से
तेरे प्यार का मारा है
ख़ामोश निगाह तेरी
क्या बातें करती है…
नाम लिया है तुमने
किसका अनजाने में
जान छलक उठी है
मेरे दिल के पैमाने में
ख़ामोश निगाह तेरी
क्या बातें करती है…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३