ख़ता की हमने मोहब्बत करके
बची-खुची ग़ैर से नसीहत करके
जब न मिला मुझको प्यार मेरा
क्या मिले ख़ुदा की इबादत करके
है अगर ग़म तो क्यों मैं ख़ुशी चाहूँ
क्या फ़ायदा ऐसी चाहत करके
हमने भी किये कुछ इल्म हासिल
इश्क़ में जैसे-तैसे जुर्रत करके
अपनी इज़्ज़त गँवायी क्यों तूने
क्या मिला उसकी इज़्ज़त करके
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४