यह प्यार चीज़ क्या है?
दीवानों का है काम
बेकार ही पीछे दौड़ते हैं
बिन सोचे अन्जाम
कहते थे कि प्यार हमको होगा नहीं
क्यों हो गया न प्यार…!
बहुत तन के चलते थे
जब घर से निकलते थे
प्यार में क्या रखा है
बस एक ही बात रटते थे
आज मुँह पर उल्टी आ पड़ी हर बात
क्यों हो गया न प्यार…!
आज क्या हुआ
वह नाक पे बैठा हुआ गुस्सा
चलो लाओ दो हमें
प्यार में हमको हमारा हिस्सा
अजी नज़र चुराकर कहाँ चल दिए
क्यों हो गया न प्यार…!
प्यार ख़ूबसूरत है
यह दिल की ज़रूरत है
दुनिया में बस यही
ख़ुदा की एक इनायत है
आज तुमको हो गया हमपे एतबार
क्यों हो गया न प्यार…!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १० मई २००३