लगे लगन तो… छूटे नहीं यह…
बने सजन तो… टूटे नहीं यह…
बनता बन जाय, मिटता मिट जाय
लगे लगन तो… छूटे नहीं यह…
बने सजन तो… टूटे नहीं यह…
लगे लगन तो… छूटे नहीं यह…
बने सजन तो… टूटे नहीं यह…
यह चारों ओर है, यह कच्ची डोर है
यह चारों ओर है, यह कच्ची डोर है
यह कच्ची डोर है, यह चारों ओर है
कहते हैं… करो न जी… यह…
कहते हैं… मरो न जी… यूँ…
कहते हैं… करो न जी… यह…
कहते हैं… मरो न जी… यूँ…
जीते जी… भरो न जी… यह…
जीता मरता जाय, मरता जीवन पाय
लगे लगन तो… छूटे नहीं यह…
बने सजन तो… टूटे नहीं यह…
लगे लगन तो… छूटे नहीं यह…
बने सजन तो… टूटे नहीं यह…
रिश्तों को… बेग़ाना कर दे…
ग़ैरों का… पैमाना भर दे…
ख़ाहिश को… रस्ता देता है…
किसी को… रिश्ता देता है…
यारों का… गुलदस्ता देता है…
बनता बन जाय, मिटता मिट जाय
लगे लगन तो… छूटे नहीं यह…
बने सजन तो… टूटे नहीं यह…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९