माशूक़ गर मग़रूर हो
नाम मेरा भी मशहूर हो
जब आइनाए-दिल में झाँकूँ
उसमें यार की तस्वीर हो
आँखें हों जब ख़्वाबीदा
दीदारे-यार ज़रूर हो
उसका हर नाज़ उठाऊँ
चाहे बिक रहा ज़मीर हो
हमें वस्ले-यार मिले
इश्क़े-दिल दस्तूर हो
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२