मज़े – मज़े धड़कता है दिल
तुम्हारे लिए तड़पता है दिल
मेरा कहा कभी सुनता नहीं
मान्निद शोला भड़कता है दिल
गुस्ताख़ है ख़तावार है
देखिए ताचन्द फड़कता है दिल
तुम कभी महसूस करो इसे
तुम्हारे सीने में बसता है दिल
तितलियों – सा एहसास है
रंग पर रंग बदलता है दिल
है ज़ख़्मों से छलनी – छलनी
पलकों पर बूँद-सा मचलता है दिल
हर ख़ाहिश है आग जैसी जानम
तुम्हारे लिए जलता है दिल
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’