मेरा दिल धड़का साँसें रुक गयीं
मैं चलता रहा निगाहें थम गयीं
यह दिल गया कोई ग़म नहीं
लेकिन मोहब्बत नशा बन गयी
जबसे उनको देखा नींदें उड़ गयीं
उनके ख़ाबों में निगाहें पड़ गयीं
उनके बिना अब चैन न कहीं
यारा तू हक़ीक़त है या सपना कोई
मेरा दिल धड़का साँसें रुक गयीं
मैं चलता रहा निगाहें थम गयीं
चाँदनी दिल को पूनम कर गयी
सोचा किए दो दिल दूरी मिट गयी
मेरा दिल धड़का साँसें रुक गयीं
मैं चलता रहा निगाहें थम गयीं
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
One reply on “मेरा दिल धड़का साँसें रुक गयीं”
मेरा दिल धड़का साँसें रुक गयीं YAAR TU BHI KAYA LEKHATE HO MAJA AAY GYA From-ASHOKDUHAN PETWER 09896470222