एक कहानी…
जिसमें कोई किरदार नहीं,
एक बादल जिसमें
नमी की एक बूँद नहीं,
एक समन्दर…
जिसमें सब कुछ है,
जिसके लिए कुछ नहीं,
और ऐसा ही सब कुछ…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
एक कहानी…
जिसमें कोई किरदार नहीं,
एक बादल जिसमें
नमी की एक बूँद नहीं,
एक समन्दर…
जिसमें सब कुछ है,
जिसके लिए कुछ नहीं,
और ऐसा ही सब कुछ…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’