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मेरा गीत

मेरी सोफिया…

जिसका इन्तिज़ार था वह आ ही गयी
जिसको ढूँढ रहा था मैं मिल भी गयी
करता क्या क़दमों में दिल रख दिया
और कोई नहीं वह है वह है मेरी सोफिया
मिल ही गयी मुझको मेरी सोफिया…

पहली बार जिसके लिए दिल धड़का
जिससे नज़रें मिलाते ही चैन खो गया
करता क्या क़दमों में दिल रख दिया
और कोई नहीं वह है वह है मेरी सोफिया
मिल ही गयी मुझको मेरी सोफिया…

मैं आया हूँ जिसके लिए इस दुनिया में
चाहा मैंने जिसको बढ़कर दिलो-जाँ से
जिसका नाम अपने दिल पर लिख लिया
और कोई नहीं वह है वह है मेरी सोफिया
मिल ही गयी मुझको मेरी सोफिया…

क्या कब हुआ था अब क्या हो गया
मैंने न समझा यह मैंने न जाना
बस मैंने उसको अपना यह दिल दे दिया
और कोई नहीं वह है वह है मेरी सोफिया
मिल ही गयी मुझको मेरी सोफिया…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “मेरी सोफिया…”

achhi kavita hai aapke man ka udgar isase achha o nahi sakata thha.
kisamat mai milana thha mil hi gaya tumse .
dur rah k hi jana pyar tera sofiya.
ashu .india indore.

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