ना आया मेरा दिल किसी पर कि तुझ पर ही आना था
मरकर याद आयेंगे तुम्हें कहोगे कि इक ‘फ़लाना’ था
आशिक़ को रुलाया तुमने यह अच्छी बात नहीं
दिले – आशिक़ तेरे तीरे – नज़र का निशाना था
गर इस खा़कसार पर तेरी इनायत हो कभी
दिल गुले – गुल्ज़ार हो जाये जो कभी वीराना था
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’