‘नज़र’ न पूछ क्या हाल है दिल का
उनके प्यार में हाल बेहाल है दिल का
फ़ुरक़त के तमाशे भी अजब निराले हैं
उनकी चाहत में जीना मुहाल है दिल का
बे-फ़िक्र को फ़िक्रमंद जिसने किया
वह कुछ और नहीं ख़्याल है दिल का
तुम छोड़ गये मुझे तड़पने के लिए
क्या बताऊँ कितना बुरा हाल है दिल का
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’