वह मुझे चाहती है
या यूँ ही मुझसे बात करनी थी उसे
कोशिश तो उसने
मुझ तक पहुँचने की बहुत की थी
और फिर वह मुझे
‘नज़र’ भी कहने लगी –
‘नज़र’ उसे अच्छा लगता है
ऐसा भी उसने कहा था
एक बार मुझसे मेरी ही शिक़ायत की थी उसने
ज़हीन तो है वह
और शायद थोड़ी अय्यार भी,
मुझसे उसने कई बार एक ही सवाल पूछा है
बहुत दिनों से उससे बात नहीं हुई
जाने क्यों? जवाब नहीं हैं मेरे पास…
शायद एक ही तरह सोचती है वह
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००५
2 replies on “शायद एक ही तरह सोचती है वह”
आज के दिन अच्छा तोहफा.
क्या तोहफ़ा कुछ समझ नहीं आया? 😉