शब हुई चाँद आया तेरे ग़म ने अँगड़ाई ली
क़यामत है क़ज़ा है यह शब जुदाई की
छुपाया न कुछ हमने तुमसे सब कह दिया
तुम्हें मेरे प्यार में क्या कमी दिखायी दी
मान जाओ निबाहेंगे मोहब्बत को ताउम्र
तुम्हें चाहकर क्या मैंने कोई बुराई की
मेरे ख़ुदा अगर न मिला मेरा प्यार मुझको
झुठला दी जायेगी बात तेरी ख़ुदाई की
तन्हा जी रहा हूँ और तेरा तस्व्वुर है
दिल में चुभती है फ़िक्र तेरी तन्हाई की
हमको देखा न देखा हाले-दिल मेरा तुमने
ऐ क़ातिल ख़ुशी ने हमसे यूँ बेवफ़ाई की
तुमको देखा तब जाना मैंने क़िस्मत क्या है
तुमने प्यार में मेरी यूँ रहनुमाई की
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००५