सोफ़िया तू ही तो है जान मेरी
तेरे लिए है ये दीवाना जान मेरी
तेरी ख़ुशी के लिए मुझे जीना है
पाकर तुझे नहीं मुझे खोना है
नस-नस में तेरा ही प्यार है
और दिल में तू ही मेरे यार है
तेरी ख़ुशबू सनम मेरी साँसों में है
और तेरी तस्वीरें मेरी आँखों में हैं
यह राहें खोलें हैं अपनी बाँहों को
और बुला रही हैं हम दीवानों को
सोफ़िया तू ही तो है जान मेरी
तेरे लिए ही तो छोड़ा है ज़माना
ख़ुशियों में ग़म में ओ जान मेरी
हमें इक दूजे का साथ है निभाना
दुनिया इस बात को जान लेगी
इसकी हमको क्या फ़िकर
दुनिया ये कहेगी दुनिया ये करेगी
इस बात से हमें क्या डर
पागल हैं लोग वह
जो इस प्यार को नहीं समझते
प्यार वफ़ा के बिना तो
शाख़ों पर गुल भी नहीं महकते
प्यार येशू है प्यार ही मरियम
प्यार ही मन का सच्चा दरपन
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२