तू मुझसे मोहब्बत करती हो तो क्या होगा
मानूस-सा मौसम इक बार फिर हरा होगा
रोज़-रोज़ नये बहाने ढूँढ़ती हो क़रीब आने के
गर इज़हार कर दो यह इश्क़ और ख़रा होगा
मुस्कुराना इठलाना शरमाना सतरंगी अदाएँ
तेरे मासूम दिल में जाने कितना प्यार भरा होगा
तू आँचल है एक ख़ूबसूरत-सी मोहब्बत का
जो तुझमें ऐब ढूँढ़ता है वो ख़ुद बुरा होगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२