ये रात गुज़र जाने दो,
आकाश से चाँद उतर जाने दो
झिलमिल-झिलमिल सितारे चमके
जुगनू भी आँगन में दमके
मन की लगी को तन से उतर जाने दो
ये रात गुज़र जाने दो,
आकाश से चाँद उतर जाने दो
सीली-सीली हवा से
अपना बदन निखर जाने दो
ये ख़ाब सँवर जाने दो
ये रात गुज़र जाने दो,
आकाश से चाँद उतर जाने दो
अरमाँ दिल में कुछ पलते हैं
आये ये कुछ ख़ाब कल के हैं
कल तुम जब मिलोगे तब हम कहेंगे
ये रात ठहर जाने दो,
आकाश से चाँद उतर जाने दो
मुझको लेकर नाम तेरा
आज मर जाने दो
आज की बात है तो
ये रात गुज़र जाने दो,
आकाश से चाँद उतर जाने दो
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२