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मेरी ग़ज़ल

ज़ोफ़ जिस्म में रूह

ज़ोफ़ जिस्म में रूह ज़िन्दगी तलाश करती है
तुमसे पुरानी बन्दगी तलाश करती है

क्या हुआ हम क्यों बिछड़ गये बतलाओ तो
स्याहे-शब रोशनी तलाश करती है

हम आज घने जंगलों में हैं धूप की मानिन्द
जिसको उसकी बेरुख़ी तलाश करती है

हमने तुझे इक सदा दी थी राहे-मंज़िल से
वो मेरी सदा तुझे आज भी तलाश करती है

हम बहुत उदास थे शामे-सादगी की तरह
फ़ज़िर इक नयी सादगी तलाश करती है

मेरी मोहब्बत के जंगलों में ख़िज़ाँ का मौसम है
कि वह आज अपना माज़ी तलाश करती है


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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